भालेराव के सुसंस्कृत जोक्स : ५१
क्षणे तुष्ट:, क्षणे रुष्ट:, तुष्टो रुष्ट: क्षणे क्षणे |
अव्यवस्थितचित्तानां प्रसादोSपि भयंकर: ||
( अर्थात : जिसका मन स्थिर नही, ऐसे आदमी का प्रसाद भी भयंकर होता है. ऐसा आदमी क्षण मे प्रसन्न तो क्षण मे गुस्से मे, ऐसा हर पल प्रसन्न अथवा क्रोधित रहता है. अभी प्रसन्न है समझ कर आप उससे बर्ताव करोगे तो अगले पल मे क्रोधित हो के क्या करेगा उसका भरोसा नही. ).
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