शुक्रवार, २ सप्टेंबर, २०१६

भालेराव के सुसंस्कृत जोक्स : ६८

भालेराव के सुसंस्कृत जोक्स : ६८

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षटकर्णो भिद्यते मन्ञ: चतुष्कर्ण: स्थिरो भवेत् |

द्विकर्णस्य तु मंत्रस्य ब्रह्मापी अंतं न गच्छति ||

 

( अर्थात : कोई गुप्त रहस्य छ कानो पर ( याने तीन आदमी को ) पडे तो वह गुप्त नही रहता और वह सब जान जाते है . वही गुप्त चीज अगर चार कानो पे ( याने दो आद्मियो के बीच ) पडती है तो वह दो आद्मियो के बीच स्थिर रहती है. और जो चीज सिर्फ दो कानो पे ( याने एकही आदमी को ) पडती है वह तो खुद ब्रह्मदेव भी नही जान सकता. इस लिये कोई गुप्त चीज किसी को भी नही कहनी चाहिये. ).

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